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Saturday 8 February 2014

इतनी शक्ति हमें देना दाता

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो न..

हर तरफ़ ज़ुल्म है, बेबसी है
सहमा सहमासा हर आदमी है
पाप का बोझ बढता ही जाये
जाने कैसे ये धरती थमी है
बोझ ममता का तू ये उठा ले
तेरी रचना का ये अँत हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो न..

दूर अज्ञान के हों अँधेरे
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे
हर बुराई से बचते रहें हम
जितनी भी दे भली ज़िन्दग़ी दे
बैर हो न, किसी का किसी से
भवना मन में बदले की हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो न..

हम न सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाँटें सभी को
सबका जीवन ही बन जाये मधुबन
अपनी करुणा का जल तू बहाकर
करदे पावन हरेक मनका कोना
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो न..

हम अँधेरे मे हैं रौशनी दे
खो न दें खुद को ही दुश्मनी से
हम सज़ा पायें अपने किये की
मौत भी हो तो सह लें खुशी से
कल जो गुज़रा है फिर से न गुज़रे
आनेवाला वो कल ऐसा हो न
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे
भूल कर भी कोई भूल हो न..

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो न...

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